हरियाणा सरकार का यूटर्न: बढ़ा हुआ विकास शुल्क वापस , कलेक्टर रेट पर पांच प्रतिशत विकास शुल्क की दरें हुई लागू 

हरियाणा सरकार का यूटर्न: बढ़ा हुआ विकास शुल्क वापस , कलेक्टर रेट पर पांच प्रतिशत विकास शुल्क की दरें हुई लागू 

हरियाणा सरकार का यूटर्न बढ़ा हुआ विकास शुल्क वापस

हरियाणा सरकार का यूटर्न: बढ़ा हुआ विकास शुल्क वापस , कलेक्टर रेट पर पांच प्रतिशत विकास शुल्क की दरें

विपक्ष व सत्ता पक्ष ने जताई थी फैसले पर आपत्ति


चंडीगढ़, 23 फरवरी। हरियाणा सरकार ने यूटर्न लेते हुए बढ़ा हुआ विकास शुल्क वापस ले लिया है। विकास शुल्क की नई दरें लागू करने के बाद सरकार विपक्ष के साथ साथ अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गई थी। राज्य में अप्रैल माह के दौरान स्थानीय निकाय चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले से किरकिरी हो रही थी। सभी शहरों में कलेक्टर रेट का पांच प्रतिशत विकास शुल्क तय किया था। 
हरियाणा सरकार ने 18 फरवरी को ही डेवलपमेंट चार्ज का नोटिफिकेशन शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव अरुण गुप्ता की ओर से जारी किया गया था। अब शहरों में विकास शुल्क के लिए पुरानी वाली दरें ही लागू रहेंगी। माना जा रहा है कि अप्रैल में होने वाले 50 के लगभग नगर परिषद और नगर पालिकाओं के चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय वापस लिया है। 
आम लोगों में भी सरकार के इस फैसले से नाराजग़ी थी। निकाय विभाग ने अब सभी जिलों के डीसी, नगर निगमों के आयुक्तों, जिला पालिका आयुक्तों, नगर परिषदों के कार्यकारी अधिकारियों तथा नगर पालिकाओं के सचिवों को इस बाबत हिदायतें जारी की हैं। उन्हें तुरंत प्रभाव से नये नोटिफिकेशन पर अमल रोकने को कहा गया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी सरकार के फैसले से सहमत नहीं थे। 
उन्होंने नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही इस पर नाराजग़ी जता दी थी। बुधवार को उन्होंने विकास शुल्क के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा निकाय मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता से फोन पर बात भी की। अहम बात यह है कि भाजपा की गठबंधन सहयोगी जेजेपी भी इससे सहमत नहीं थी। जेजेपी नेताओं द्वारा भी इस बाबत मुख्यमंत्री से चर्चा किए जाने की सूचना है। 
वहीं दूसरी ओर, सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मीडिया से बातचीत में कहा, निकायों की मजबूती के लिए विकास शुल्क जरूरी है। आज नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत व नगर परिषद की आमदनी बढ़ाने की जरूरत है। इससे इन क्षेत्रों में व्यवस्था अच्छी होगी। विकास शुल्क 2018 में बढ़ाया गया था, जो 500 रुपये प्रति मीटर या रजिस्ट्री का 5 प्रतिशत जो भी ज्यादा होगा वह लिया जाना तय हुआ था। विपक्ष इसे करोड़ों रुपये लेने का मुद्दा बना रहा है, जबकि यह गुरुग्राम और पंचकूला जैसे बड़े शहरों में जरूर ज्यादा हो सकता है। छोटे शहरों में तो बहुत ही कम है। जनता द्वारा दिया गया यह शुल्क उन्हीं के विकास पर खर्च किया जाता है।